यूके-भारत FTA वार्ता 2025 में फिर से शुरू होगी, नई उम्मीदें और संभावनाएँ

ब्रिटेन और भारत के बीच व्यापार, निवेश, और रणनीतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पर 2025 में होगी चर्चा।



लंदन/नई दिल्ली, 18 नवंबर 2024 - ब्रिटेन और भारत के बीच लंबे समय से चल रही मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता को लेकर नई प्रगति हुई है। यूके के प्रधान मंत्री कीर स्टार्मर ने भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से ब्राजील में आयोजित G20 शिखर सम्मेलन के दौरान मुलाकात में इस बात की घोषणा की है कि UK-India FTA वार्ता आगामी वर्ष 2025 में पुनः प्रारंभ की जाएंगी। 

दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए यह समझौता बेहद महत्वपूर्ण है, जिससे व्यापार, निवेश, और वैश्विक आर्थिक सहयोग में वृद्धि हो सके। वार्ता को फिर से शुरू करने का निर्णय दोनों नेताओं के बीच हुई बैठक में लिया गया था, जहाँ उन्होंने भारत-यूके की रणनीतिक साझेदारी को और प्रगाढ़ करने पर भी सहमति जताई।

यह FTA, यदि संपन्न होता है, तो भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के लिए ब्रिटिश बाजार तक बेहतर पहुंच प्रदान करेगा, और इसके विपरीत, यूके के उत्पादों को भी भारतीय बाजार में आसानी से पहुँचने की सुविधा देगा। वार्ता के दौरान, कई महत्वपूर्ण मुद्दे जैसे व्यापार शुल्क में कमी, सेवाओं का आदान-प्रदान, और निवेश सुरक्षा पर विचार-विमर्श होगा।

स्टार्मर ने कहा, "भारत के साथ एक नया व्यापार समझौता यूके में नौकरियों को बढ़ावा देगा और समृद्धि को बढ़ाएगा, जो हमारे मिशन को पूरा करने की दिशा में एक कदम है जहाँ हम देश भर में विकास और अवसरों को बढ़ाना चाहते हैं।" उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच न सिर्फ व्यापार बल्कि सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग को गहरा करेगा।

प्रधान मंत्री मोदी ने इस बैठक को "अत्यंत उत्पादक" बताते हुए कहा, "भारत के लिए, यूके के साथ कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप अत्यंत प्राथमिकता रखती है। आने वाले वर्षों में, हम प्रौद्योगिकी, हरित ऊर्जा, सुरक्षा, नवाचार और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में निकटता से कार्य करने के लिए उत्सुक हैं।"

इस घोषणा के साथ, दोनों देशों के व्यापार समुदायों और निवेशकों में उत्साह देखा जा रहा है, क्योंकि यह समझौता व्यापार और निवेश की संभावनाओं को बढ़ाने के साथ-साथ रोजगार सृजन करने में भी सहायक होगा। हालांकि, ब्रिटेन और भारत के बीच कुछ मुद्दे जैसे वीज़ा नीतियां, कृषि उत्पादों पर शुल्क, और समुद्री उत्पादों के नियम अभी भी चर्चा का विषय हैं।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता न केवल द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक व्यापार मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण चिह्न होगा, दिखाते हुए कि कैसे ब्रेक्सिट के बाद यूके नए व्यापार मार्ग स्थापित कर रहा है।

(स्रोत: X पोस्ट्स, GOV.UK, The Hindu, इंडियन एक्सप्रेस, और अन्य समाचार स्रोतों के आधार पर)

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