अमेरिका ने ग़ज़ा में संयुक्त राष्ट्र के युद्धविराम प्रस्ताव को वीटो किया, शी जिनपिंग ने शांति की मांग की

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका का वीटो, जबकि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ग़ज़ा में हिंसा समाप्त करने और शांति स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।


न्यूयॉर्क/ब्राज़ीलिया, 20 नवंबर 2024 - अमेरिका ने एक विवादास्पद कदम उठाते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के उस प्रस्ताव को वीटो कर दिया है जो ग़ज़ा में तत्काल, बिना शर्त और स्थायी युद्धविराम की मांग करता था और सभी बंधकों की रिहाई की भी बात करता था। इस निर्णय ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विवाद को जन्म दिया है, जिसमें चीन और रूस जैसे देशों ने अमेरिका की इस कार्रवाई की आलोचना की है।

सुरक्षा परिषद में 14 सदस्यों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन अमेरिका के वीटो के कारण यह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका। अमेरिका के इस कदम ने वैश्विक राजनीति में क्षेत्रीय संघर्ष समाधान के लिए अलग-अलग दृष्टिकोणों को उजागर किया है।

इसी समय, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्राज़ील की राजधानी ब्राज़ीलिया में अपनी राजकीय यात्रा के दौरान शांति की अपील की है। उन्होंने कहा, "हम सभी को मिलकर काम करना चाहिए ताकि ग़ज़ा में हिंसा को रोका जा सके और इस क्षेत्र में स्थायी शांति स्थापित की जा सके।" शी जिनपिंग का यह बयान अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से संघर्ष को कम करने और मानवीय सहायता पहुँचाने की मांग करता है।


अमेरिका के वीटो के बाद, संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका के राजदूत ने तर्क दिया कि यह प्रस्ताव हमास की ओर से बंधकों की रिहाई की शर्त को नहीं जोड़ता, जो कि शांति के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होता। हालांकि, इसे वैश्विक समुदाय में बहस का विषय बना दिया है, जहाँ कई देशों ने अमेरिका की इस नीति को अंतरराष्ट्रीय शांति प्रक्रिया में बाधक माना है।

इस घटनाक्रम ने ग़ज़ा में मानवीय संकट को और गहरा कर दिया है, जहां नागरिकों के नुकसान और मानवीय सहायता की कमी जारी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यह स्थिति देशों के बीच विभाजन को उजागर कर रही है, जहाँ एक ओर कुछ देश युद्धविराम की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ देश इस मुद्दे पर राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण अपना रहे हैं।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्य देश अब संभवतः इस मुद्दे पर आगे बढ़ने के लिए वैकल्पिक तरीके तलाशेंगे, जिसमें नए प्रस्ताव लाना, नए सिरे से बातचीत करना या अन्य अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मुद्दे को उठाना शामिल हो सकता है।


[स्रोत: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की कार्यवाही, चीनी राष्ट्रपति का बयान, विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स]

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