बांग्लादेश में शेख़ हसीना के जाने के बाद पाकिस्तान के साथ संबंधों में बदलाव

पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच ऐतिहासिक समुद्री संपर्क और नीतिगत बदलाव


सांकेतिक तस्वीर (फ़ाइल फ़ोटो)


16 नवंबर, 2024: बांग्लादेश में शेख़ हसीना के सत्ता से हटने के बाद से कई ऐसे घटनाक्रम हुए हैं जो भारत के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। हाल ही में, पाकिस्तान का एक मालवाहक पोत कराची से चलकर बांग्लादेश के दक्षिणपूर्वी तट पर स्थित चटगांव बंदरगाह पर पहुंचा। यह 1971 के बाद से पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच पहला समुद्री संपर्क है, जिससे दोनों देशों के बीच सीधा व्यापारिक रास्ता खुल गया है।

समुद्री संपर्क की नई शुरुआत

पाकिस्तान के उच्चायोग ने इस घटना को द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण क़दम बताया। उच्चायोग के बयान में कहा गया है, "पहली बार है कि पाकिस्तान के कराची से बांग्लादेश के चटगांव बंदरगाह पर कार्गो पोत सीधे पहुँचा है और यह द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण क़दम की शुरुआत है।" इस नए रूट से व्यापार अधिक सुलभ होने, परिवहन के समय को कम करने और दोनों देशों के लिए नई व्यावसायिक संभावनाएं खुलने की उम्मीद है।

नई अंतरिम सरकार और पाकिस्तान

शेख़ हसीना के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद मोहम्मद यूनुस की अगुवाई में नई अंतरिम सरकार बनी है, जिसने पाकिस्तान के साथ संबंधों में बढ़ोतरी का संकेत दिया है। इस वर्ष सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान, मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ के बीच मुलाक़ात हुई थी, जिसमें दोनों देशों ने अपने संबंधों को फिर से मज़बूत करने की प्रतिबद्धता जताई थी।

यूनुस ने कहा था, "अपने संबंधों को फिर से ज़िंदा करना बहुत ज़रूरी है।" इस बयान ने संकेत दिया कि बांग्लादेश की नीतियां शेख़ हसीना के समय से अलग होने वाली हैं, जो अधिक भारत-केंद्रित थीं।

भारत की चिंता

भारत में इस विकास ने चिंता पैदा कर दी है। हसीना के सत्ता से हटने के बाद से भारत-बांग्लादेश संबंधों में तनाव बढ़ा है। हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल चीन निर्मित एक पाकिस्तानी युद्धपोत को चटगांव बंदरगाह पर डॉक करने की अनुमति नहीं दी गई थी, जो हसीना की नीति का एक उदाहरण था। लेकिन, नई अंतरिम सरकार ने सैन्य अभ्यास 'अमन 2025' में भाग लेने की पुष्टि की है, जिसे पाकिस्तान में आयोजित किया जाना है।

पाकिस्तानी प्रतिक्रिया

पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने इसे पाकिस्तान के लिए एक बड़ा मौका बताया है। उन्होंने कहा, "शेख़ हसीना भारत के हाथों में खेल रही थीं. उनका कुछ एजेंडा था, जिसे लेकर वो आगे बढ़ रही थीं." उनका मानना है कि नई सरकार के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच व्यापार और राजनयिक संबंधों में बढ़ोतरी होगी।

अन्य सहयोग

पाकिस्तान ने बांग्लादेशी नागरिकों के लिए तत्काल वीज़ा देने की नीति भी अपनाई है। बांग्लादेश में पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैयद अहम मारूफ़ ने छह नवंबर को कहा था कि यह सुविधा व्यापारिक और पर्यटन वीज़ा के लिए होगी।

भारतीय विशेषज्ञों की चिंता

कोलकाता से प्रकाशित द टेलिग्राफ़ ने एक विशेषज्ञ के हवाले से कहा कि पाकिस्तानी पोतों की चटगांव पोर्ट तक पहुंच से भारत की सुरक्षा चिंताएं बढ़ी हैं। विशेष रूप से, प्रतिबंधित सामानों के अवैध यातायात और नॉर्थ-ईस्टर्न इंसरजेंसी समूहों के समर्थन की आशंका है।

भारत-बांग्लादेश के रिश्ते

शेख़ हसीना के शासन के दौरान भारत और बांग्लादेश के बीच काफी गर्मजोशी रही, जिसमें व्यापार, ऊर्जा और सुरक्षा सहयोग के क्षेत्रों में सुधार हुआ। लेकिन नई अंतरिम सरकार के साथ, भारत को अब पाकिस्तान के बढ़ते प्रभाव से सावधान रहना होगा।


इस प्रकार, बांग्लादेश में राजनीतिक परिवर्तन भारत के लिए नई चुनौतियां पैदा कर रहा है, जहां पाकिस्तान के साथ बढ़ते संबंधों को देखते हुए भारत को अपनी रणनीति पुनः विचार करनी पड़ सकती है।

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