नई दिल्ली: भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपने इतिहास में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, 2024 में देश के वित्तीय क्षेत्र से सबसे बड़े डॉलर मूल्यवर्गीय ऋणों में से एक के लिए $1.25 अरब का ऋण मांगा है। यह ऋण, जो सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए उठाया जाएगा, पांच वर्षों के लिए होगा और अंतरराष्ट्रीय बैंकों द्वारा समन्वित किया जा रहा है।
ऋण की विशेषताएं:
- ऋण की अवधि: पांच वर्ष।
- ब्याज दर: रिस्क-फ्री सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनांसिंग रेट (SOFR) पर 92.5 आधार अंक अतिरिक्त।
- समन्वयक बैंक: सीटीबीसी बैंक, एचएसबीसी होल्डिंग्स पीएलसी, और ताइपे फुबोन बैंक।
एसबीआई द्वारा यह निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब देश में विदेशी मुद्रा ऋणों की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। हालांकि, देश की कुल डॉलर ऋण मात्रा में इस वर्ष 27% की गिरावट दर्ज की गई है, जो लगभग $14.2 अरब तक सीमित है, मुख्य रूप से बड़े कॉर्पोरेट ऋणों की कमी के कारण।
भारतीय स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा और प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है, जो अपनी विशाल शाखा नेटवर्क और विविध बैंकिंग सेवाओं के लिए जाना जाता है। इस ऋण के साथ, एसबीआई अपनी वित्तीय स्थिरता और वैश्विक वित्तीय बाजारों में अपनी पहुंच को और मजबूत करने का प्रयास कर रहा है।
इस घटना के साथ, एसबीआई कई ऐसे स्थानीय उधारकर्ताओं में शामिल हो गया है जो इस वर्ष विदेशी मुद्रा ऋण उठा रहे हैं। चोलामंडलम इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस कंपनी ने भी हाल ही में $300 मिलियन का सिंडिकेटेड टर्म लोन प्राप्त किया है। यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा भी अपने-अपने ऋण उठा रहे हैं, जिससे देश में विदेशी मुद्रा ऋण की गतिविधि में वृद्धि हुई है।
इस मामले पर एसबीआई ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है।
इस ऋण के माध्यम से, भारतीय स्टेट बैंक न केवल अपनी वित्तीय क्षमता को बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है, बल्कि भारत के वित्तीय क्षेत्र में विश्वास और निवेश को भी आमंत्रित कर रहा है। यह प्रयास वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करने में मदद कर सकता है।
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